भ्रष्ट चिन्तन और दुष्ट आचरण वाले स्वभाव-अभ्यास को और अधिक गहन करते रहने से स्पष्ट इन्कार कर दे।
12.
सांप के बिल के पास जाकर संन्यासी ने उसे आवाज लगाई और उसके दुष्ट आचरण के लिए उसे आगाह किया।
13.
उसका प्रेमी-पति, जो एक दुष्ट आचरण का व्यक्ति था, विवाह के उपरांत उसको अनेक प्रकार से शारीरिक व मानसिक यातना देने लगा।
14.
धन का, बल का सौन्दर्य का और कौशल का नियोजन यदि भ्रष्ट चिन्तन और दुष्ट आचरण में किया जाय, तो वैसा भी हो सकता है।
15.
वासना, तृष्णा, अहन्ता पर आधारित भ्रष्ट चिन्तन और दुष्ट आचरण उन्हीं से बन पड़ते हैं जिनके सोचने में संग्रह, उपभोग और प्रदर्शन की निकृष्टता अनावश्यक मात्रा में घुस पड़ी है।
16.
इसीलिए वैदिक प्रार्थना है-“ मन्युरसि मन्युं मयि धेहि, हे दुष्टों पर क्रोध करने वाले (परमेश्वर)! आप दुष्ट कामों और दुष्ट जीवो पर क्रोध करने का स्वभाव मुझ में भी रखिये यजुर्वेद-19.9 ”. अन्याय दुष्ट आचरण से समझौता करना दुष्टाचरण को समाप्त नहीं करता वरन्च दुष्टाचार को बढावा ही देता है.
17.
हे परम ऐश्वर्यवान् राजा! आप तीन प्रकार के-साधारण, स्पर्धा के लिए और सुख की वृद्धि के लिए किए जाने वाले संग्रामों में यजमानम् आर्यम् (उत्तम गुण, कर्म स्वभाव के लोग) का रक्षण करें | और अव्रतान् (नियन के न् पलनेवाले, दुष्ट आचरण वाले), जिनका अंत: करण काला हो गया है, हिंसा में रत या हिंसा की इच्छा करने वाले को नष्ट कर दें |