कई लोग उनके जाल में फंस जाते हैं और उन पर अपना सर्वस्व लुटा बैठते हैं क्योंकि उनको ऐसे लोगों में दुष्ट भाव दिखाई नहीं देता।
12.
जिससे स्वार्थ पूरा होता है वह चाहे दुष्ट भाव वाला क्यों न हो, उनके लिये देव है पर जिससे कोई स्वार्थ नहीं है वह उनके लिये महत्वहीन है।
13.
जिससे स्वार्थ पूरा होता है वह चाहे दुष्ट भाव वाला क्यों न हो, उनके लिये देव है पर जिससे कोई स्वार्थ नहीं है वह उनके लिये महत्वहीन है।
14.
जब मैंने सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा का प्रचार शुरू किया, तो उसका यह उददेश्य कदापि नहीं था कि उसमें कानूनों की दुष्ट भाव से की जाने वाली उद्धत अवज्ञा का भी समावेश होगा ।
15.
अगर मजदूर लोग अपना गुस्सा देश में प्रचलित कानून को दुष्ट भाव से तोडकर प्रगट करें, तो मैं कहूंगा कि वे आत्मघात कर रहे हैं और भारत को उसके फलस्वरूप अवर्णनीय कष्ट भोगने पडेंगे ।
16.
व्याधा के दुष्ट भाव को देखकर दमयन्ती ने बडे रोषपूर्ण शब्दों में कहा-यदि मैंने राजा नल के सिवा अन्य पुरुष का स्वपन् में भी चिन्तन न किया हो तो यह मृगजीवी व्याधा प्राणरहित होकर गिर पडे!
17.
इसी प्रकार पाप भाव या दुष्ट भाव (3,6,8,12 भाव) के स्वामी कहीं भी बैठ कर यदि शुभ ग्रह या शुभ भावों के स्वामी से युक्त या दृ्ष्ट हों तो वह दुष्ट ग्रह भी अप्नी दशा या भुक्ति में रोग, पीडा़, भय, कष्ट से मुक्ति दिलाकर धन वैभव बढा़एंगे.
18.
यहां ‘ कृष्ण त्वक् ‘ शब्द से कलि त्वचा वाले लोगों की कल्पना कर ली गई है | जब की यहाँ ‘ कृष्ण त्वक् ‘ का अर्थ अंत: करण का दुष्ट भाव है | साथ ही यहां ‘ ततृषाणाम् ‘ और ' अर्शसानम् ' भी आए हैं, जिनका अर्थ है-हिंसा करना चाहना और हिंसा में रत | इस के विरुद्ध आर्य यहां श्रेष्ठ और परोपकारी मनुष्यों के लिए आया है |