(१ कुरिन्थियों १ ५: २ ६) “ जिसके कान हों, वह सुन लें चर्चों से आत्मा ने क्या कहा, वह जो विजय प्राप्त करता है उसे दूसरी मृत्यु का दुःख नहीं दिया जायेगा ” ।
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पहले हृदय में आएगी और चेहरे पर न दीखेगी फिर घटित होगी धर्मग्रंथों की व्याख्या में फिर इतिहास में और फिर भविष्यवाणियों में फिर वह जनता का आदर्श हो जाएगी निरर्थक हो जाएगा विलाप दूसरी मृत्यु थाम लेगी पहली मृत्यु से उपजे आँसू पड़ोसी सांत्वना नहीं एक हथियार देगा