संपन्न-महाजनवर्ग और सामंतवर्ग (राजा महाराजा, जमींदार, व्यापारी, उद्योगपति, आदि) यह अच्छी तरह समझ गए थे कि अपने बलबूते पर अंगरेजों को देश से निकालना संभव नहीं है, और उन्हें यहां से निकाले बगैर इन वर्गों की उन्नति भी नहीं हो सकती थी।
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जनाजे की नमाज के बाद जब फुन्नन मियाँ अपनी बेटी को कब्र में उतारना चाहते हैं, तो पृथ्वीपाल कहता है, '' हम उतारब अपनी बहिन को '', ७ सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की ऐसी मजबूत डोर से बंधे गंगौली वालों के मस्तिष्क में यह बैठना कि हिन्दू-मुसलमानों को इस देश से निकालना चाहता है, मुसलमान हिन्दुओं का दुश्मन है, आसान नहीं था।