हे प्रभु, हमने स्वर्गदूत के संदेश द्वारा तेरे पुत्र येसु खीस्त का देहधारण जान लिया।
12.
तेरे निर्मल कौमार्य के कारण ही ईश्वर के पुत्र ने तेरे गर्भ में देहधारण करना स्वीकार किया।
13.
कर्मानुसार आत्मा मानव, पशु, पक्षी किसी योनि में जाता हुआ देहधारण-रूप जन्म लेता है।
14.
मसीह अपने देहधारण एवं प्रायश्चित की मृत्यु के द्वारा मनुष्य एवं परमेश्वर के बीच में मध्यस्त बन गया;
15.
वरन् परमेश्वर ने स्वयं पहल की और देहधारण के कार्य मॆं एक मनुष्य मॆं अपनी समस्त परिपूर्णता को दिया।
16.
जो एक मानव देहधारण करने पर उस जीवन में प्रारब्ध कर्मों को भोगने के लिये कियेजाते हैं ; तथा
17.
इसलिए प्रारब्ध कर्मों का जो लेश शेष रह जाता है, उसी के कारण देहधारण की सिद्धि होती है ।
18.
परमेश्वर का अनंत उद्धार एवं छुटकारा जो सम्पूर्ण मानव जाति एवं सृष्टि हेतु है, स्वयं प्रभु यीशु मसीह के देहधारण ; प्दबंतदंजपवदद्ध में प्रगट है।
19.
अतः यह कहना बिल्कुल भ्रामक होगा कि जिस पुत्र से परमेश्वर प्रसन्न है वह देहधारण के समय या अन्य किसी समय बनाया या सृजा गया था।
20.
पौलुस यीशु के विषय में कहता है, “महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता” (तीतुस २:१३), तथा दर्शाता है कि देहधारण के पूर्व पहले यीशु “परमेश्वर के रूप में था (फिलिप्पियों २:५-८) ।