छाया के आँचल में छिपा वह थकी मुस्कान ले कहता-अपनी चादर सब पर तान दे री! वे नहीं जानते कि वे क्या कह रहे हैं!!
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सरकार एक्षपोर्त को बदावा दे री है ग़रीबो को तक पर रख कर उर उब मेडिया के द्वारा ये भ्रम फैला री है की ये सब अंताररसत्ीर्या महगाई की वजह से हो रहा है.
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किन्नर नवजात शिशु को अपनी गोद में लेकर दूध पिलाने का अभिनय करते और साथ ही गाते-' घर जाण दे री लाला रोवे मेरा' यानि अब मुझे घर जाने दो मेरा बच्चा रो रहा है ।
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एक तरफ जहां बरघाट और लखनादौन, जो कि दोनों आदिवासी क्षेत्र है, में स्थानीय नेताओं को ही प्रभारी बनाया गया हैं लेकिन केवलारी और सिवनी विस क्षेत्र के प्रभारियों की नुयुक्ति कुछ अलग ही राजनैतिक संकेत दे री हैं।
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' कंगना' राग:-मालकौंस, ताल:-झपताल, गायक:-फरीद अयाज़ और अबू मोहम्मद, भाषा:-व्रज भाषा, फ़ारसी, हिन्दवी, कवि:-मिर्ज़ा कतील (इन्तेकाल १८१७), बेदम शाह वारसी (इन्तेकाल १९३६) और कुछ बेनाम कवि (व्रज और हिन्दवी) ए कंगना, दे दे री छैल मेरो, कंगना दे दे तोरी बिनती करूँ, तोरे पैयाँ परूँ ए कंगना (निज़ामी गंजवी की फ़ारसी ग़ज़ल से)
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रात नौ बजे के बैंड में यदि चौथे पांचवें पायदान पर रहना चाहते हैं तो बेशक न्यूज चलाएं, लेकिन यदि नंबर वन टू और थ्री बनना चाहते हैं तो न्यूज का मतलब प्रलय, तबाही और अंधविश्वास ही समझें, क्योंकि पिछले करीब डेढ महीने से इस न्यूज बैंड में ये ही खबरें खूब टीआरपी दे री हैं.
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व्रज और हिन्दवी) ए कंगना दे दे री छैल मेरो कंगना दे दे अ जी कंगना दे दे दे दे दे दे रि छैल मेरो नहीं आऊं मैं तोरे अंगना ए कंगना लपक झपक और आन अचानक रंग आरो मोहे मदवा पिलायो ऐसे रंगीले के 'बेदम' वारि जिन मोहे लाल गुलाल बनायो ए कंगना मोरी सखियां सहेलियां मोहे बोल मारत है छैलवा दे दे कंगना कंगना दे दे रि छैल मेरो नहीं आऊं में तोरे अंगना (हिन्दवी और फ़ारसी) दिल दादम ओ जान दादम ओ ईमान दादम ओ ए कंगना