उद्देश्य ये भी है कि प्रशासन से जनता को जो दैनंदिन कार्य होते हैं उन्हें पूरा करने के लिये लोक सेवक सतर्क रहे और सेवा प्रदान करने के लिये अपने उत्तरदायित्व का प्रभावी निर्वहन करे ।
12.
कट्टर (व अकट्टर) हिन्दुत्व के विरुद्ध तो आमतौर पर अधिकांश ही लोग आवाज बुलंद करते रहते हैं और गाली तक भी देते रहते हैं, उसमें कोई साहस की बात नहीं, वह बड़ा सरल दैनंदिन कार्य है।
13.
बैंकों के वरिष्ठ कार्यालयों के द्वारा भीशाखाओं तथा अन्य सहयोगी विभागों, प्रभागों एवं कक्षों को पत्र लिखते समयशिष्टाचार और संयम का परिचय देते हुए ऐसी कोई बात नहीं लिखी जानी चाहिएकि उनकी अस्मिता को कोई ठेस पहुँचे और अपने दैनंदिन कार्य में वे अरुचिदिखाने लगें.
14.
इस भाषा से ' बात' करने के लिये कम्प्यूटर क्रमादेशकों (प्रोग्रामर्स) को एक प्रचलित (स्वाभाविक)भाषा की आवश्यकता होती है जो उसके दैनंदिन कार्य की भाषा तो होती है किन्तु उसका भी परिव्हुद्ध होना अनिवार्य होता है अन्यथा कम्प्यूटर उसकी बात को गलत समझ सकता है।
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इस भाषा से ' बात ' करने के लिये कम्प्यूटर क्रमादेशकों (प्रोग्रामर्स) को एक प्रचलित (स्वाभाविक) भाषा की आवश्यकता होती है जो उसके दैनंदिन कार्य की भाषा तो होती है किन्तु उसका भी परिव्हुद्ध होना अनिवार्य होता है अन्यथा कम्प्यूटर उसकी बात को गलत समझ सकता है।
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ज्योतिष के ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ऋग्वेद के अनेक मंत्र यह संकेत देते हैं कि हर बीस महीनों की अवधि के दौरान शुक्र नौ महीने प्रभात काल में अर्थात प्रातः काल पूर्व दिशा में चमकता हुआ दृष्टिगोचर होता था जिसके आधार पर ऋषि महर्षि आदि स्नान ध्यान का समय ज्ञात कर अपना दैनंदिन कार्य समय पर सुचारु रूप से संपादित कर लेते थे।
17.
क्या करते? मजबूरी थी! सो वापस बेशर्म जैसे पहुँच गए महाराज कर्ण के दरबार में! महाराज कर्ण अपने दैनंदिन कार्य में ऐसे लगे थे जैसे कुछ हुआ ही नही हो! सिर्फ़ कानो पर और सीने पर कुछ ताजा घाव के निशान और रक्त अवश्य दिखाई दे रहा था! उन्होंने इन्द्र को आते देखा तो पूछ बैठे-देवराज आदेश करिए अब क्या चाहिए? वह भी अवश्य मिलेगा!
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क्या करते? मजबूरी थी! सो वापस बेशर्म जैसे पहुँच गए महाराज कर्ण के दरबार में! महाराज कर्ण अपने दैनंदिन कार्य में ऐसे लगे थे जैसे कुछ हुआ ही नही हो! सिर्फ़ कानो पर और सीने पर कुछ ताजा घाव के निशान और रक्त अवश्य दिखाई दे रहा था! उन्होंने इन्द्र को आते देखा तो पूछ बैठे-देवराज आदेश करिए अब क्या चाहिए? वह भी अवश्य मिलेगा!