गौरीनाथ या उसके जैसे कठमुल्ले और एकतरफा सोचनेवाले लेखकों को नहीं समझाया जा सकता है कि वे स्वयं जीवन में कितने दोमुँहा व्यवहार करते रहे हैं ।
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दोमुँहा शायर ‘साहिर ' कहता है-एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल हम गरीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मजाक और बनवा के बनवा के हसीं ताजमहल दुनिया को मुहब्बत की निशानी दी है।
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लेकिन-जब देखता हूँ औरत लिखता हूँ उसके बारे में तो लोग भूल जाते हैं अपनी आँखें बन जाते हैं जबान मुझे पोर्नोग्राफर और मेरी रचनाओं को कहते हैं अश्लील, चाहते हैं हो जाऊँ दोमुँहा उनकी तरह और बकूँ बकवास।
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उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वीरेंद्र मदान ने एक बयान में कहा है कि बसपा से भ्रष्टाचार के आरोप में निकाले गए लोगों को पार्टी में शामिल करने से भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोरी आवाज़ उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी का दोमुँहा चरित्र उजागर हुआ है.
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ढोड साँप एक रुपए, घोड़ापछाड़ तीन रुपए, करिया नाग चार रुपए, डंडा करैत तीन रुपए, गेहुंअन चार रुपए, बामिन तीन रुपए, दोमुँहा दो रुपए, करिया नागिन चार रुपए... । अरे खूब पैसा चंपा खू ब... ।
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अब तक तो आप समझ ही गये होंगे कि “ असली धर्मनिरपेक्षता ” किसे कहते हैं? तो भविष्य में जब भी कोई “ वामपंथी दोमुँहा ” आपके सामने बड़े-बड़े सिद्धान्तों का उपदेश देता दिखाई दे, तब उसके फ़टे हुए मुँह पर यह लिंक मारिये।
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हम भारत के लोग जिनकी भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, चापलूसी, पाखंड, दोमुँहा चरित्र, व्यक्तिपूजा, कायरता और वंशवाद के सामने घुटने टेकने की शानदार परम्परा है, भारत को आतंकवाद का आसान निशाना और विश्व बैंक तथा डब्ल्यू,टी.ओ. की नीतियों का गुलाम बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अन्याय, विचार, अभिव्यिक्त, अनास्था और [...]
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देवनागरी तथा अन्य भारतीय लिपियाँ कम्प्यूटिंग की दृष्टि से क्लिष्ट (complex) श्रेणी में रखी गईं हैं, जिसका कारण है शून्य चौड़ाई वाले अक्षर अर्थात् मात्राएँ, संयुक्ताक्षर तथा दोमुँहा तकनीकी (भण्डारण, संसाधन के लिए यूनिकोड कूट और पारम्परिक रूप में प्रदर्शन और मुद्रण के लिए ओपेन टाइप फोंट का प्रयोग) ।
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हम भारत के लोग जिनकी भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, चापलूसी, पाखंड, दोमुँहा चरित्र, व्यक्तिपूजा, कायरता और वंशवाद के सामने घुटने टेकने की शानदार परम्परा है, भारत को आतंकवाद का आसान निशाना और विश्व बैंक तथा डब्ल्यू, टी. ओ. की नीतियों का गुलाम बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अन्याय, विचार, अभिव्यिक्त, अनास्था और […]
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ळमने देश को भ्रष्टों, लापरवाहों और नक्कारखानों तथा सैकड़ों ईस्ट इण्डिया कॅम्पनीयों के हवाले कर रखा है फिर किस मुँह और किस शान से हम अपने लोकतंत्र पर गर्व करते हैं! एक ओर देशी स्वदेशी और गांधी के ग्राम स्वराज तथा अपना देश अपना व्यापार की बात करते हैं और दूसरी ओर दोगुला या दोमुँहा व्यवहार व आचरण कर देशी विदेशीयों के हाथ देश की आजादी गिरवी रखते जा रहे हैं!