दोष मार्जन संस्कार का तात्पर्य यह है कि शिशु के पूर्व जन्मों से आये धर्म एवं कर्म से सम्बन्धित दोषों तथा गर्भ में आई विकृतियों के मार्जन के लिये संस्कार किये जाते हैं।
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दोष मार्जन संस्कार का तात्पर्य यह है कि शिशु के पूर्व जन्मों से आये धर्म एवं कर्म से सम्बन्धित दोषों तथा गर्भ में आई विकृतियों के मार्जन के लिये संस्कार किये जाते हैं।
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दोष मार्जन संस्कार का तात्पर्य यह है कि शिशु के पूर्व जन्मों से आये धर्म एवं कर्म से सम्बन्धित दोषों तथा गर्भ में आई विकृतियों के मार्जन के लिये संस्कार किये जाते हैं।
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दोष मार्जन संस्कार का तात्पर्य यह है कि शिशु के पूर्व जन्मों से आये धर्म एवं कर्म से सम्बन्धित दोषों तथा गर्भ में आई विकृतियों के मार्जन के लिये संस्कार किये जाते हैं।
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जिस तरह पापी अपने को गंगा स्नान से पवित्र करता है, चोर उचक्का प्रभु मंदिर में जाकर दोष मार्जन करता है, धूर्त ठग दान दक्षिणा करके धन को शुद्ध करता है ठीक उसी प्रकार ये भी अपने को शुद्धोत्तम मान चुके हैं क्योंकि ये भी चुनावी वेतरनी पार करके मंदिर में बैठे हैं.