इसो समय द्वार रक्षक ने आकर सूचना दी-“ जहाँ पनाह! पृथ्वीराज का एक सिपहसालार हजूर की खिदमत में हाजिर होना चाहता है.. ”
12.
सामान्य पुस्तकों की बात ही क्या? वृहदाकार पुस्तकों को भी येमहाशय कभी-कभी सही सलामत और द्वार रक्षक के निगाहों से बचकर बाहर निकालले जाने में समर्थ हो जाते हैं.
13.
भगवान का स्मरण करते हुये सुदामा द्वारिका पहुंचते हैं और द्वार रक्षक से आग्रह करते हैं कि भीतर जाकर द्वारिकाधीश को यह संदेश दें द्वार पर उनका मित्र सुदामा खड़ा है।
14.
द्वार रक्षक जब रनिवास में द्वारिकाधीश को संदेश देता है तो सुदामा का नाम सुनते ही कृष्ण दौड़े चले आते हैं उन्हें लेकर रनिवास में पहुंचते हैं और अपनी सभी रानियों और पट्महिषियों से उनका परिचय कराते हैं।
15.
इसे फिर से गोवा के वाइसराय (Ericia की गणना) द्वारा बनाया गया था करने के लिए चपोरा नदी के द्वार रक्षक, और पहाड़ी के ऊपर चढ़ने ज़ोरदार तेजस्वी विचारों के इस अद्भुत किले प्रदान करता है के लिए सार्थक है.