जब पा और पा2 वक्र व के अनुदिश मू की ओर अग्रसर होते हैं, तब उक्त द्विघाती की सीमास्थिति को ली द्विघाती कहते हैं।
12.
यह एक ऐसा प्रमेय है जिसके अन्य की तुलना में अधिक सबूत ज्ञात हो सकते हैं (द्विघाती पारस्परिकता का नियम भी इस गौरव के लिए प्रतियोगी रह चूका है);
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यह एक ऐसा प्रमेय है जिसके अन्य की तुलना में अधिक सबूत ज्ञात हो सकते हैं (द्विघाती पारस्परिकता का नियम भी इस गौरव के लिए प्रतियोगी रह चुका है);
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यह एक ऐसा प्रमेय है जिसके अन्य की तुलना में अधिक सबूत ज्ञात हो सकते हैं (द्विघाती पारस्परिकता का नियम भी इस गौरव के लिए प्रतियोगी रह चूका है);
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यदि द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)इस प्रकार चुने जाएँ कि मू पर, प्रतिच्छेद वक्र के स्पर्शी, मू के अनंतस्पशियों के प्रति अभिध्रुवी (ऐपोलर) हो तो द्विघातियों को डार्बो द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)3-बिंदु स्पर्शियों को डार्बो स्पर्शी कहते हैं।
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यदि द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)इस प्रकार चुने जाएँ कि मू पर, प्रतिच्छेद वक्र के स्पर्शी, मू के अनंतस्पशियों के प्रति अभिध्रुवी (ऐपोलर) हो तो द्विघातियों को डार्बो द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)3-बिंदु स्पर्शियों को डार्बो स्पर्शी कहते हैं।
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यदि द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)इस प्रकार चुने जाएँ कि मू पर, प्रतिच्छेद वक्र के स्पर्शी, मू के अनंतस्पशियों के प्रति अभिध्रुवी (ऐपोलर) हो तो द्विघातियों को डार्बो द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)3-बिंदु स्पर्शियों को डार्बो स्पर्शी कहते हैं।
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यदि द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)इस प्रकार चुने जाएँ कि मू पर, प्रतिच्छेद वक्र के स्पर्शी, मू के अनंतस्पशियों के प्रति अभिध्रुवी (ऐपोलर) हो तो द्विघातियों को डार्बो द्विघाती (क्वॉड्रिक्स)3-बिंदु स्पर्शियों को डार्बो स्पर्शी कहते हैं।
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अब मान लीजिए कि एक सर्वांगसमता का निर्माण तल पृ के बिंदुओं के मध्य से जानेवाली ऐसी रेखाओं से होता है जो उन बिंदुओं पर खींचे गए पृ के स्पर्शतलों पर स्थित नहीं हैं, तो किसी भी डार्बो द्विघाती के प्रति इन रेखाओं की व्युत्क्रम ध्रुवियाँ (रेसिप्रोकल पोलर्स) एक सर्वागसमता का निर्माण करती हैं जिसकी रेखाएँ पृ के स्पर्शसमतलों पर स्थित होती हैं, किंतु उनके स्पर्शबिंदुओ में से होकर नहीं जातीं।
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अब मान लीजिए कि एक सर्वांगसमता का निर्माण तल पृ के बिंदुओं के मध्य से जानेवाली ऐसी रेखाओं से होता है जो उन बिंदुओं पर खींचे गए पृ के स्पर्शतलों पर स्थित नहीं हैं, तो किसी भी डार्बो द्विघाती के प्रति इन रेखाओं की व्युत्क्रम ध्रुवियाँ (रेसिप्रोकल पोलर्स) एक सर्वागसमता का निर्माण करती हैं जिसकी रेखाएँ पृ के स्पर्शसमतलों पर स्थित होती हैं, किंतु उनके स्पर्शबिंदुओ में से होकर नहीं जातीं।