धतूरा स्ट्रामोनिअम (Datura stramonium) में द्विगुणित अवस्था में 12 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं और अर्धसूत्रण के समय द्विसंयोजक बनते हैं।
12.
इनके सूत्र एक दूसरे से बहुत भिन्न नहीं होते और इनके संकरण से उत्पन्न संकर में अर्धसुत्रण के समय 5 द्विसंयोजक बनते हैं।
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इनके सूत्र एक दूसरे से बहुत भिन्न नहीं होते और इनके संकरण से उत्पन्न संकर में अर्धसुत्रण के समय 5 द्विसंयोजक बनते हैं।
14.
परंतु अर्धसूत्रण में एक ही द्विसंयोजक नहीं बनता, क्योंकि युग्मन की क्रिया सफल नहीं होती और सभी सूत्र अयुग्मित रह जाते हैं जिससे 12 एक-संयोजक बनते हैं।
15.
सूत्रों के द्विगुण होने से जो ऐलोपॉलिप्लाइड बनता है उसमें 9 चतुष्क (36) सूत्र होते हैं और ऐसे पौधे में 12 से 18 तक द्विसंयोजक बनते हैं और 0 से 3 तक चतु:संयोजक।
16.
से द्विगुणित पौधे में 12 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं और ऑटोटेट्राप्लॉइड में 48 सूत्र होते हैं एवं अर्धसूत्रण के समय इसमें 9 से 11 चतु: संयोजक और 2 से 6 तक द्विसंयोजक बनते हैं।
17.
सीसे के अतिरिक्त, विद्युत आवेश और द्विसंयोजक कैल्शियम के समान आयनिक त्रिज्या वाले सभी अणु, जैसे कैडमियम, कैल्शियम आयन की नकल करते हैं और इसलिये उनसे होने वाला संपर्क दांत के क्षय को बढ़ाता है.
18.
सूत्रों के द्विगुण होने से जो ऐलोपॉलिप्लाइड बनता है उसमें 9 चतुष्क (36) सूत्र होते हैं और ऐसे पौधे में 12 से 18 तक द्विसंयोजक बनते हैं और 0 से 3 तक चतु: संयोजक।
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इसी भाँति प्रिम्यूला साइनेंसिस (Primula sinensis) से द्विगुणित पौधे में 12 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं और ऑटोटेट्राप्लॉइड में 48 सूत्र होते हैं एवं अर्धसूत्रण के समय इसमें 9 से 11 चतु: संयोजक और 2 से 6 तक द्विसंयोजक बनते हैं।
20.
इनके संकरण से उत्पन्न संकर रैफ़ानस ब्रैसिका (Raphanus-Brassica) में भी 9 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं ; परंतु अर्धसूत्रण में एक ही द्विसंयोजक नहीं बनता, क्योंकि युग्मन की क्रिया सफल नहीं होती और सभी सूत्र अयुग्मित रह जाते हैं जिससे 12 एक-संयोजक बनते हैं।