' प्रकृति की इस द्वैतता को संसार के लगभग अन्य सभी प्राणियों ने स्वीकार कर लिया है-कुछ एक ने अपनी क्षमता भर प्रकृति की इस द्वैती प्रकृति को बदलने की चेष्टा भी की है, जैसे कि खद्योत गहन तिमिराच्छन्न रात्रि और भयावने जंगल में अपनी क्षमता भर प्रकाश उत्पन्न करते ही हैं, लेकिन मनुष्य ने अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर संसार के प्रत्येक अंधकार को चुनौती दी और हर अंधेरे में उजाले की सृष्टि करने का प्रयास किया।