इस कक्ष मे उपस्थित चुंबकीय क्षेत्र ऋण आवेश के कणो को बांये मोड़ता है तथा धन आवेश के कणो को दायें।
12.
पाजीट्रोन (e +) या पोजीटिव इलेक्ट्रोन (धन आवेश युक्त इलेक्ट्रोन) परमाणु में पाया जाने वाला एक मौलिक कण है।
13.
इसका मूल कारण परमाणुओं में प्रतिपरमाणुओं की उपस्थिति है! ऋण और धन आवेश पास-पास आते ही एक दूसरेको रद्द कर देते है!
14.
परमाणु के नाभिक पर कितना धन आवेश है और अमुक तत्व के परमाणु में कितने इलेक्ट्रॉन हैं, यह बात तत्व की परमाणुसंख्या से व्यक्त होती है।
15.
इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है की इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है ।
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इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है की इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है ।
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इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है की इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है ।
18.
परमाणु के नाभिक पर कितना धन आवेश है और अमुक तत्व के परमाणु में कितने इलेक्ट्रॉन हैं, यह बात तत्व की परमाणु संख्या से व्यक्त होती है।
19.
(भौतिक विज्ञान के अनुसार इसे विपरीत आवेश ब्रह्माण्ड(विपरीत C ब्रह्माण्ड) कहेंगे क्योंकि यहां धन आवेश और ऋण आवेश मे अदलाबदली हो गयी है लेकिन अन्य सभी कुछ समान है।)
20.
1911-13 ई0 में रदरफोर्ड ने ऐल्फा कणों के प्रकीर्णन (scattering) द्वारा यह सिद्ध किया कि परमाणु के भीतर सभी धन आवेश केंद्र से 10^-12 सेंमी0 दूरी के भीतर एकत्रित रहते हैं।