यहां से जब आप थोड़ी दूर उत्तर दिशा की ओर चलेंगे तो आपको धर्मराजिका स्तूप मिलेगा।
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सारनाथ यात्राः क्या कहता है इतिहास यहाँ के धमेख व धर्मराजिका स्तूपों के बारे में?
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इनमें से ऋषिपत्तन (सारनाथ) में उसके द्वारा निर्मित धर्मराजिका स्तूप का भग्नावशेष अब भी द्रष्टव्य हैं।
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खँडहर में हमने उस विशाल स्तूप की बची नींव देखी जिसे धर्मराजिका स्तूप के नाम से चिन्हित किया गया है.
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धर्मराजिका स्तूप के भग्नावशेषों से जैसे ही हम धमेख स्तूप की ओर बढ़े, पूरा वातावरण शांत और भक्तिमय हो गया।
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दक्षिण क्षेत्र से विशेषकर धर्मराजिका स्तूप के आसपास तथा धमेख स्तूप के उत्तर से उन्हें अनेक छोटे-छोटे स्तूपों एवं मंदिरों के अवशेष मिले।
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सारनाथ के संदर्भ के ऐतिहासिक जानकारी पुरातत्त्वविदों को उस समय हुई जब काशीनरेश चेत सिंह के दीवान जगत सिंह ने धर्मराजिका स्तूप को अज्ञानवश खुदवा डाला।
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यहाँ से प्राप्त महीपाल के समय के 1026 ई. के एक लेख में यह उल्लेख है कि स्थिरपाल और बसंतपाल नामक दो बंधुओं ने धर्मराजिका और धर्मचक्र का जीर्णोद्धार किया।
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[20] यहाँ से प्राप्त महीपाल के समय के 1026 ई. के एक लेख में यह उल्लेख है कि स्थिरपाल और बसंतपाल नामक दो बंधुओं ने धर्मराजिका और धर्मचक्र का जीर्णोद्धार किया।
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यहां आज इस स्थल पर बौद्ध मंदिर, धर्मक स्तूप, धर्मराजिका और प्राचीन उद्यान के साथ-साथ पुरातात्विक संग्रहालय विद्यमान है जहां देश का राष्ट्रीय चिह्न अशोक चक्र रखा हुआ है।