हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस आकाशगंगा में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी आकाशगंगा के ताराओं को देख पाते हैं।
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हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं।
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हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं।
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मीलों चलता है और साकत है मैं अपनी आग में एक चाँद रखती हूँ और नंगी आँख से मर्द कमाती हूँ लेकिन मेरी रात मुझसे पहले जाग गयी है मैं आसमान बेच कर चाँद नहीं कमाती.....
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दुश्मन इतने वसीह क्यों हो गए हैं मैं औरत-अपने चाँद में आसमान का पैबंद क्यों लगाऊं! मील पत्थर ने किसका इन्तजार किया! औरत रात में रच गयी अमृता बाजी! आखिर खुदा अपने मन में क्यों नहीं रहता! आग पूरे बदन को छू गयी है संगे मील.मीलों चलता है और साकत है मैं अपनी आग में एक चाँद रखती हूँ और नंगी आँख से मर्द कमाती हूँ लेकिन मेरी रात मुझसे पहले जाग गयी है मैं आसमान बेच कर चाँद नहीं कमाती.....