हमारे उपग्रह के निवासी कैसी मर्मान्तक पीड़ाओ और गंभीर निराशा के दौर में से गुज़र रहे है, इसे जानने के लिए किसी भी दैनिक समाचार पत्र के मुख पृष्ठ पर नज़र दौड़ाना ही पर्याप्त है।
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हमारे उपग्रह के निवासी कैसी मर्मान् तक पीड़ाओ और गंभीर निराशा के दौर में से गुज़र रहे है, इसे जानने के लिए किसी भी दैनिक समाचार पत्र के मुख पृष्ठ पर नज़र दौड़ाना ही पर्याप् त है ।
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जब ज़ौक़ ज़फ़र के उस्ताद थे और ज़ौक़ की असमय मौत के बाद ग़ालिब ज़फ़र के साहबजादे के उस्ताद बने) ज़फ़र किस हद तक शेर कह जाते थे, यह जानने के लिए उनकी इस ग़ज़ल पर नज़र दौड़ाना जरूरी हो जाता है: