आगन्तुक के आने पर उसे बिना छोटे-बड़े का ध्यान रखे नमस्कार कहना, बैठने के लिए आसन देना और आगमन की प्रसन्नता प्रकट करते हुवे समाचार पूछना यह एक सामान्य शिष्टाचार है ।
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मैं उनका बहुत आदर करता हूँ! मेरे लेख जो की \“कदली के पात\” के अंतर्गत प्रकाशित हो रहे है यह उनके दिए गए टाईपिंग के टिप्स पर ही संभव हो सका! मेरा उन्हें नमस्कार कहना!
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यह सुनकर गरुड़ ने कहा, ' भगवान मुझ सरीखे कृभृत्य को रखकर क्या करेंगे? उन्हें मेरा नमस्कार कहना और कहना कि वे मेरे स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति कर लें | जो स्वामी भुत्य के गुणों को नहीं जानता उस स्वामी की सेवा में रहना उचित नहीं |
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अभी मेरे पास तुम्हारे सवालों का जवाब नहीं है, अतः, मैं तुमको देशद्रोही, पश्चिम का पिट्ठू, लालची, आई एस आई की एजेंट, और भी बहुत कुछ कह कर, अपनी भड़ास निकाल रहा हूँ, आशा है तुम स्वस्थ्य एवं प्रसन्न होगी, अपने सभी मित्रों से मेरा नमस्कार कहना, सुनो अरुंधती, तुम मुझे बुरी नहीं लगती हो.