जान लेने के इन सभी मामलों में मानववध अथवा अभियोज्य नर हत्या का, जो हत्या की श्रेणी में नहीं आती, छोटा अपराध होता है।
12.
“ नर हत्या और आर्थिक स्वतंत्रता के नकारात्मक सम्बन्ध ये दर्शाते हैं की बाज़ार जनता में बेहतर सहयोग स्थापित करता है ”, डॉ शाह ने कहा.
13.
विलियम बैंटिक ने अपने शासनकाल में सती प्रथा, बाल हत्या, नर हत्या आदि पर प्रतिबन्ध लगाकर तथा डलहौज़ी ने विधवा विवाह को मान्यता देकर रूढ़िवादी भारतीयों में असन्तोष भर दिया।
14.
रिपोर्ट में आर्थिक स्वतंत्रता का वेनेज़ुएला, कोलम्बिया, साउथ अफ्रीका, लैटविया और लिथुआनिया में नर हत्या जैसे मामलों व उनकी संख्या पर हुए असर का भी पता लगाया गया है.
15.
वह अपने मन में कहने लगा कि यह व्यर्थ ही नर हत्या का पाप मुझे लगा, क्या हर्ज था अगर थोड़ी जिंस का नुकसान होता रहता, और अब चोर को जान से मारने के अपराध में मुझे मृत्युदंड दिया जाएगा।
16.
भूलवश या जानबूझ कर बिल्ली या गाय मार देने पर भी घर घर घूम कर भीख माँगना, प्रताड़ित होना आदि आदि धर्म आधारित समाज व्यवस्था के सामूहिक अनुशासन से जुड़े थे जिसमें कई परिस्थितियों में नर हत्या भी अपराध नहीं थी, स्वीकृत थी और गर्व का कारण भी।
17.
यदि किसी प्रकार दूसरे दे्शों की सहायता लेकर समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के उद्योग में सफल हो जावे, देश में क्रान्ति हो जावे, तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैल कर व्यर्थ की नर हत्या होती है, और उस प्रयत्न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का ना्श हो जाता है ।
18.
यदि किसी प्रकार दूसरे दे्शों की सहायता लेकर समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के उद्योग में सफल हो जावे, देश में क्रान्ति हो जावे, तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैल कर व्यर्थ की नर हत्या होती है, और उस प्रयत्न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का ना्श हो जाता है ।
19.
नर हत्या ”-किसी नर की साधारण चोट से होने वाली वह मृत्यु जिसमें मारने वाले का यह उद्देश्य न हो कि वह मर जाय ; दूसरे शब्दों में आत्म रक्षार्थ अथवा अपने बचाव में किये गये प्रतिकार से होने वाली हत्या जिसमें मारने वाले का जान से मारने का अभिप्राय न हो तो भी वह-पाप है जिसके दुष्परिणामस्वरूप नरक की यातना सहनी पड़ती है।
20.
इस के धारण मात्र से नर हत्या का पाप मुक्त हो जाता है, इस को धारण करने से काल अग्नि स्वरुप अगम्य पाप दूर होते हैमंत्र-पञ्च मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः “मंत्र का जाप कर के धारण करेछह मुखी रुद्राक्षस्वरुप-छह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कार्तिके स्वरुप हैलाभ-छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से श्री और आरोग्य की प्राप्ति होती हैमंत्र-छह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः”मंत्र का जाप कर के धारण करे”सप्त मुखी