जब सतत तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अधिक मह्त्वपूर्ण हो जायेंगे और आने वाले दशकों में उनकी मांग बहुत अधिक बढ़ जाएगी, यह ऊर्जा स्रोत भी हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकते हैं।
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जीवाश्म ईंधन के लगातार कम हो रहे भंडारों के कारण, जैसे-जैसे स्थायी और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अधिक महत्वपूर्ण बन रहे हैं, वैसे-वैसे अन्य प्रौद्योगिकियाँ उन तरीकों को बदलने में मुख्य भूमिका निभाएँगी जिनसे हम बिजली उत्पन्न करते हैं।
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भारत में स् थापित विद्युत उत् पादन क्षमता स् वतंत्रता के बाद 85 गुना से भी अधिक बढ़ी है और 1, 28,182.47 मेगावॉट (दिनांक 31 जनवरी, 2007 की स्थिति के अनुसार) तक पहुंच गई है जिसमें 8414984 मेगावॉट (तापीय) ; 33941.77 मेगावॉट (जलीय) ; 3900 मेगावॉट (परमाणु) ; और 6190.06 मेगावॉट (नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत) शामिल है।