ये जीवाणु प्रक्रियाएं सर्वव्यापी जैवभूरसायनिक चक्रों जैसे एसिटोजेनेसिस, नाइट्रीकरण और विनाइट्रीकरण में महत्व रखती हैं और मिट्टी के उपजाऊपन के लिये आवश्यक होती हैं.
12.
नाइट्रीकरण की क्रिया दो समूह के जीवों द्वारा होती है, अमोनिया का आक्सीकरण करने वाले जीवाणु तथा अमोनिया का आक्सीकरण करने वाले आर्किया [1]
13.
नाइट्रीकरण अपने आप में दो चरणों वाली एक वायवीय प्रक्रिया है, जिसमें से प्रत्येक चरण को विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं द्वारा सहज बनाया जाता है.
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[44] ये जीवाणु प्रक्रियाएं सर्वव्यापी जैवभूरसायनिक चक्रों जैसे एसिटोजेनेसिस, नाइट्रीकरण और विनाइट्रीकरण में महत्व रखती हैं और मिट्टी के उपजाऊपन के लिये आवश्यक होती हैं.
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इसका उपयोग औषधियों, साबुन बनाने, नाशकजीव नियंत्रण, नाइट्रीकरण निरोधक, धीमे पोषक तत्व विमोचित करने वाली खाद,पशुओं के चारे, ईंधन,उर्जा आदि के लिए किया जाता है।
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इस तरह आम तौर पर 15 दिन से अधिक वर्धित कीचड़ प्रतिधारण बारी (एसआरटी/SRT) से अत्यंत ठण्ड के मौसम में भी सम्पूर्ण नाइट्रीकरण को सुनिश्चित किया जाता है.
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[44] ये जीवाणु प्रक्रियाएं सर्वव्यापी जैवभूरसायनिक चक्रों जैसे एसिटोजेनेसिस, नाइट्रीकरण और विनाइट्रीकरण में महत्व रखती हैं और मिट्टी के उपजाऊपन के लिये आवश्यक होती हैं.
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एक फ़िल्टर बहुत कम मात्रा में प्रसुप्त कार्बनिक पदार्थों को हटाता है, जबकि फ़िल्टर में होने वाले केवल जैविक ऑक्सीकरण और नाइट्रीकरण की वजह से अधिकांश कार्बनिक पदार्थ के रूप में परिवर्तन हो जाता है.
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इस वायवीय ऑक्सीकरण और नाइट्रीकरण की वजह से कार्बनिक ठोस पदार्थ स्कंदित प्रसुप्त पदार्थों के ढेर में बदल जाता है, जो इतने भारी भरकम होते हैं जो टंकी की तली में आसानी से जम सकते हैं.
20.
विषैला कोलतार में विषम चक्रीय यौगिक के रूप में उपस्थित विलायक के रूप में, पूतिरोधी के रूप में तथा कार्बनिक यौगिकों को बनाने में प्रयुक्त बेंजीन से अधिक स्थायी इसका नाइट्रीकरण या ब्रोमीनिकरण कठिनाई से रासायनिक क्रिया में नाइट्रोबेंजीन के सदृश एक कार्बनिक यौगिक है।