मोमिन की एक ख़ूबी यह है कि वह जाहिल व नादान लोगों के साथ नेक बर्ताव करता है और उनके ग़ैर उसूली और नाज़ेबा सुलूक पर नाराज़ व ग़ुस्सा नही होता हैं बल्कि बुज़ुर्गवारी का सुबूत देता है।
12.
अरबी रवायत में किसी नामाक़ूल, नामुनासिब, नाजायज़ या नाज़ेबा काम की शुरूआत अल्लाह या किसी मअबूद के नाम से नहीं की जाती थी, आमदे इस्लाम से पहले यह क़ाबिले क़द्र अरबी कौम के मेयार का एक नमूना था.
13.
जो भी अपने मोमिन भाई को कोई ऐसा काम करते हुए देखे जो नाज़ेबा और बुरा हो, तो अगर वह उसे रोकने की क़ुदरत रखता हो तो उसे रोके और अगर वह लापरवाई के साथ उसके पास से गुज़र जाये तो बेशक उसने उसके साथ ख़ियानत की है।