यह कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है ; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता तो विक्रमोर्वशीय अथवा अभिज्ञानशाकुन्तलम में है।
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भीष्म साहनी की यह नाट्य कृति मध्यकालीन वातावरण में संघर्ष कर रहे कबीर को उनके पारिवारिक और सामाजिक सन्दर्भों सहित आज भी प्रासंगिक बनाती है।
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यह कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है ; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता जो विक्रमोर्वशीय अथवा अभिज्ञानशाकुन्तलम् में है।
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तुगलक विख्यात रंगकर्मी गिरीश कारनाड की मूलत: कन्नड़ में रचित नाट्य कृति है, जिसके हिंदी सहित कई आधुनिक भारतीय भाशाओं में अनुवाद और मंचन हुए हैं।
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खास बात है कि इस नाट्य कृति की प्रस्तुति में बुंदेली कलाकारों के शामिल होने से आम आदमी बेहतर तरीके से नाटक का मकसद समझ पा रहा हैं।
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=देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं प्रकाशित (1975 से) =महामहिम राष्ट्रपति डॉ. कलाम द्वारा अंग्रेजी में अनुदित बाल नाट्य कृति 'द ड्रीम्सÓ का 17 नवम्बर 2005 को लोकार्पण।
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=देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं प्रकाशित (1975 से) =महामहिम राष्ट्रपति डॉ. कलाम द्वारा अंग्रेजी में अनुदित बाल नाट्य कृति 'द ड्रीम्स' का 17 नवम्बर 2005 को लोकार्पण।
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यह नाट्य कृति मैं फ्लिप्कार्ट पर उपलब्ध कराने का प्रयत्न कर रही हूँ.... वैसे थोड़ी बहुत जानकारी उस किताब के विषय में मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से देने का प्रयास करूंगी...
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श्री भीष्म कुकरेती ने उत्तराखंड की बोली भाषा पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि पूर्ण मनराल बधाई के पात्र हैं जिन्होंने मुंबई में ४६ वर्ष बाद उत्तराखंड की बोली-भाषा में अपनी नाट्य कृति समाज को दी है।
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श्री भीष्म कुकरेती ने उत्तराखंड की बोली भाषा पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि पूर्ण मनराल बधाई के पात्र हैं जिन्होंने मुंबई में ४ ६ वर्ष बाद उत्तराखंड की बोली-भाषा में अपनी नाट्य कृति समाज को दी है।