जो विचारविषय तीव्र मतभेद का कारण बन गए उनमें दार्शनिक दृष्टिकोण के यथार्थवाद और नामवाद का संघर्ष प्रमुख था।
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छठी शताब्दी में बीथियस ने, अरस्तू की “कैतागोरिया” नामक पुस्तक का पॉर्फिरी (233-304) कृत परिचय अनूदित कर, नामवाद (नॉमिनलिज्म) का मार्ग प्रशस्त किया।
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छठी शताब्दी में बीथियस ने, अरस्तू की “कैतागोरिया” नामक पुस्तक का पॉर्फिरी (233-304) कृत परिचय अनूदित कर, नामवाद (नॉमिनलिज्म) का मार्ग प्रशस्त किया।
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नामवाद के अनुसार वास्तविक सत्ता विशेष मनुष्यों की है, “मनुष्य” केवल एक नाम है, जो कुछ समानताओं के आधार पर हम कुछ व्यक्तियों में से हर एक को दे देते हैं।
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नामवाद के अनुसार वास्तविक सत्ता विशेष मनुष्यों की है, “मनुष्य” केवल एक नाम है, जो कुछ समानताओं के आधार पर हम कुछ व्यक्तियों में से हर एक को दे देते हैं।
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छठी शताब्दी में बीथियस ने, अरस्तू की “ कैतागोरिया ” नामक पुस्तक का पॉर्फिरी (233-304) कृत परिचय अनूदित कर, नामवाद (नॉमिनलिज्म) का मार्ग प्रशस्त किया।
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नामवाद के अनुसार वास्तविक सत्ता विशेष मनुष्यों की है, “ मनुष्य ” केवल एक नाम है, जो कुछ समानताओं के आधार पर हम कुछ व्यक्तियों में से हर एक को दे देते हैं।
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यदि आज नारीत्व का अस्तित्व नहीं है तो हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि ऐसा कभी था भी नहीं, किंतु तब क्या औरत शब्द का कोई विशिष्ट अर्थ नहीं? यह दृढ़ रूप से स्वीकार किया गया है कि युक्तिवाद और नामवाद के दर्शन को स्वीकार करने वालों के लिए औरत महज एक मानव जीव है, जिसे औरत शब्द से रेखांकित किया गया है।