उधर न्यूयॉर्क में कनाडा के प्रधानमंत्री ने ये मामला उनके साथ उठाया था, इस बयान की कड़ी निंदा की थी और कहा था कि ये नामुनासिब बात है.
12.
अमिताभ की तरह मेरे भी दो बच्चे हैं और रेडियो पर नौकरी के लिए जिस तरह अमिताभ को नामुनासिब समझा गया था उसी तरह मुझ से भी कई बार माफी माँगी गई.
13.
पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के बाद मुसलमानों की तादाद कई गुना ज़्यादा बढ़ गई थी लेकिन वक़्त गुज़रने के साथ-साथ नामुनासिब लीडरशिप की वजह से मुसलमान असल इस्लाम से दूर हो गए थे।
14.
नौजवान फ़िल्म शायक़ीन सुचित्रा सेन का मुवाज़ना एश्वर्या राय से और विजयंती माला का मुवाज़ना माधूरी दीक्षित से करते हैं जो नामुनासिब है क्योंकि चारों ही अदाकारा अपने अपने दौर में उरूज पर थीं |
15.
यह पानी बड़ा गन्दा है और इसका लुक़मे में उच्छू लग जाने का ख़तरा है और याद रखो के नावक़्त (बेवक़्त) फल चुनने वाला ऐसा ही है जैसे नामुनासिब ज़मीन में ज़राअत करने वाला।
16.
यह कहने में मुझे कोई नामुनासिब बात नहीं मालूम होती कि हिंदू धर्म की महत्ता को किसी भी तरह कम किए बगैर मैं मुसलमान, ईसाई, पारसी और यहूदी धर्म में जो महत्ता है उसके प्रति हिंदू धर्म के बराबर ही श्रद्धा जाहिर कर सकता हूं।
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यह कहने में मुझे कोई नामुनासिब बात नहीं मालूम होती कि हिंदू धर्म की महत्ता को किसी भी तरह कम किए बगैर मैं मुसलमान, ईसाई, पारसी और यहूदी धर्म में जो महत्ता है उसके प्रति हिंदू धर्म के बराबर ही श्रद्धा जाहिर कर सकता हूं।
18.
या इसी क़िस्म के दूसरे नामुनासिब अफ़आल अंजाम देना जो रूहे शरीयत के ख़िलाफ़ हैं और उन में शरई मुसल्लम हुदुद का ख़्याल न रखा जाये या ऐसी चीज़ जिसके लिये क़ुरआन और सही हदीस की ताईद न हो या किताब व सुन्नत से इस्तिम्बात किया हुआ कोई कुल्ली क़ायदा
19.
तेरी आंख में एक कहानी छिपी है मगर तेरी बोली बताती नहीं हैतेरी ज़ुल्फ़ में मेरी किस्मत फंसी हैलटों को क्यूं रुख से हटाती नहीं हैउसे क्या हुआ है, क्या मुझसे ख़फ़ा हैमुझे देख वो मुस्कुराती नहीं हैये नारे उछालो हवा में संभल केहुकूमत को हरकत ये भाती नहीं हैग़ज़लगोई अब नामुनासिब हुई हैकि अब सुबह बुलबुल भी गाती नहीं हैनज़ारों को भूला, बियाबां में भटकामगर याद ज़ेहन से जाती नहीं हैमयंक अब समझ जाओ, बदलेगा न कुछजो खल्क ए खुदा, कसमसाती नहीं है
20.
इन बातों की दरयाफ़्त और तस्दीक़ का काम बहुत तहक़ीक़ और मेहनत चाहता है. आरिफ़ साहब इस के लिए हमारे शुक्रिया के मुस्तहक़ (अधिकारी) है.यक़ीन है कि आप सब इन दिलचस्प अदाबी बातों से महज़ूज़-ओ-मुस्तफ़ीद(आनन्द और फ़ायदा उठाये) होंगे.यहाँ यह कहना नामुनासिब नहीं कि आरिफ़ साहब की तहक़ीक़ को पढ़ कर कई उर्दू-दोस्त अहबाब ने इस में इज़ाफ़ा किया है और इस सिलसिले को मज़ीद दिलचस्प(और ज्यादा दिलचस्प) बनाया है.मैने इन इज़ाफ़ों को भी यहाँ शामिल कर लिया है.मै इन दोस्तों का भी मम्नून(आभारी) हूँ.