जब प्रतिभा पाटिल ने जलगाँव के मूलजी जेठा (एम. जे. कॉलेज) विश्वविद्यालय में प्रवेश किया, तो उनका व्यक्तित्व किसी दब्बू नारी जैसा नहीं था।
12.
परेशानियों में उसके माथे परभी बल पढ़ते हैं वोह भी रोता हैं जब उसका दिल टूटता हैं परन्तु उसके आंसू कभी कोई देख नही पता दर्द अपनों का उसकी आँखे भी पढ़ लेती हैं परन्तु एक नारी जैसा बयां नही कर पाती उसकी जुबान