प्रो. (श्रीमती) वीणा सिंह ने कहा कि नागार्जुन के साहित्य में नारीमुक्ति और नारी-शोषण के विरोध को स्थान दिया गया है।
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सेक्स वर्कर, सेक्स ट्रेड और सेक्स इण्डस्ट्री जैसे ‘ आधुनिक ' नामों से नारी-शोषण तंत्र की इज़्ज़त अफ़ज़ाई (Glorification) व सम्मानीकरण।
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लेकिन इस आव्हान से पहले संक्षेप में यह देखते चले कि नारी दुर्गति, नारी-अपमान, नारी-शोषण के समाधान अब तक किये जा रहे हैं वे क्या हैं?
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नारी-शोषण, बाल-शोषण! भ्रू ण हत्या भी उसी का एक हिस्सा मान लीजिए ; क्योंकि उसमें भी एक भावी नारी का ही शोषण होता है!
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रचनाकार को मालूम ही नहीं है कि वर्तमान माहौल मेंसामाजिक गैर-बराबरी, अशिक्षा, नारी-शोषण, बेकारी, दलितों का उत्पीड़न, गरीबी और सांस्कृतिक पतनशीलता निरंतर बढ़ रहे हैं।
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नारी-शोषण और सामाजिक विसंगतियों की स्थितियाँ वहाँ भी कमोबेश वैसी ही हैं...।एक पत्रकार/लेखिका ने कहा था, आपातकाल के दौर में जब मैं मध्यप्रदेश के किसी जेल में थी, तब ‘साप्ताहिक' में इसे पढ़ा था।
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नारी-कल्याण आन्दोलन (Feminist Movement) ● सलिंगीय समानता (Gender Equality) नारी-शोषण के अनेकानेक रूपों के निवारण के अच्छे जज़्बे के तहत उसे तरह-तरह के सशक्तिकरण (Empowerment) प्रदान करने को बुनियादी अहमियत दी गई।
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लेकिन इस आह्नान से पहले, संक्षेप में यह देखते चलें कि नारी-दुर्गति, नारी-अपमान, नारी-शोषण के जो हवाले से मौजूदा भौतिकवादी, विलासवादी, सेक्युलर (धर्म-उदासीन व ईश्वर-विमुख) जीवन-व्यवस्था ने उन्हें सफल होने दिया है या असफल किया है?
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इसीलिए वे अपने लेख के दूसरे हिस्से में एक और फ़तवा देते हुए कहते हैं, ” रचनाकार को मालूम ही नहीं है कि वर्तमान माहौल में सामाजिक गैर-बराबरी, अशिक्षा, नारी-शोषण, बेकारी, दलितों का उत्पीड़न, गरीबी और सांस्कृतिक पतनशीलता निरंतर बढ़ रहे हैं।
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लेकिन इस आव्हान से पहले संक्षेप में यह देखते चले कि नारी दुर्गति, नारी-अपमान, नारी-शोषण के समाधान अब तक किये जा रहे हैं वे क्या हैं? मौजूदा भौतिकवादी, विलास्वादी, सेकुलर (धर्म-उदासीन व ईश्वर विमुख) जीवन-व्यवस्था ने उन्हें सफल होने दिया है या असफल.