| 11. | फिर से बाईं तरफ से अंगुलियाँ हटाते हुए बायें नासिका छिद्र से साँस को बाहर निकाल दें।
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| 12. | इसे गुनगुने पानी में भिगो लें और इसका एक छोर नासिका छिद्र में डालकर मुँह से बाहर निकालें।
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| 13. | बाएँ नासिका छिद्र में इडा यानी चंद्र नाड़ी और दाएँ नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है।
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| 14. | बाएँ नासिका छिद्र में इडा यानी चंद्र नाड़ी और दाएँ नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है।
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| 15. | बाएं नासिका छिद्र में इडा यानी चंद्र नाडी और दाएं नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है।
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| 16. | बाएं नासिका छिद्र में इडा यानी चंद्र नाडी और दाएं नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है।
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| 17. | नौ द्वारों से आशय दो आँखें दो कान दो नासिका छिद्र एक मुँह और मल मूत्र द्वारों से है ।
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| 18. | यदि दोनों नासिका छिद्र दस दिन तक निरन्तर ऊर्घ्व श्र्वास के साथ चलते रहें तो मनुष्य तीन दिन तक ही जीवित रहता है।
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| 19. | अब दोनों नासिका छिद्र से धीरे-धीरे श्वास लें और गले में घर्षण करते हुए श्वास अंदर ले जाएं, इसको आवाज़ के साथ करें।
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| 20. | उसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे से दाहिने नासिका छिद्र को बंद करें, तत्पश्वात बार्इं नाक से बिना आवाज किए श्वास अंदर भरें।
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