चालाक चिकित्सक बाथ की बहुविवाहिता वाचाल पत्नी, बहस करनेवाला “रसोइया”, नीच अफसर (रीव), बादमाश, घृणित “सम्मन तामील करनेवाला”, “मस्त फ्रायर” अथवा आक्सेन फोर्ड का क्लार्क, सच्चे विश्वास से दीप्त नि:सृत उद्ववेग, सभी घुले मिले हैं।
12.
कौन जाने, यही पद्धति वे लिखने में भी अपनाती हों, पर मैंने तो उनका लिखा हुआ जो भी पढा, सीधा-सरल-सहज रूप से नि:सृत पाया और इसे उनके लेखन का एक विशेष गुण भी समझा ।
13.
प्राचीन सभ्यताओं की प्रेरणा का कोई केंद्र, कोई छोर है क्या, जहॉं से वह नि:सृत हुई? ज्यों-ज्यों अधखुले नेत्रों से प्रारंभ होकर मानव सभ्यता की यह कहानी आगे बढ़ती है, यह केंद्र स्पष्टतर होता जाता है।
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प्राचीन सभ्यताओं की प्रेरणा का कोई केंद्र, कोई छोर है क्या, जहॉं से वह नि:सृत हुई? ज्यों-ज्यों अधखुले नेत्रों से प्रारंभ होकर मानव सभ्यता की यह कहानी आगे बढ़ती है, यह केंद्र स्पष्टतर होता जाता है।
15.
यदि प्रकाश के दो स्वतंत्र स्रोत, जिनसे समान परिमाण और अभिन्न कला की तरंगें सतत नि:सृत हों, एक दूसरे के सन्निकट रखे जाएँ, तो माध्यम के आसपास ऊर्जा का वितरण समांग नहीं होता, जहाँ एक प्रकाशतरंग का शृंग दूसरे प्रकाशतरंग के शृंग (
16.
ब्रह्म में जब रमण के लिए एक से अनेक होने की इच्छा होती है, तो सत्यसंकल्प ब्रह्म की इस इच्छा मात्र से सच्चिदानन्द ब्रह्म के सद्-अंश से जड़ पदार्थों का उद्गम होता है, चिद्-अंश से जीव निकलते है और आनन्द-अंश से अन्तर्यामी नि:सृत होते है।
17.
दूसरा यह कि चूँकि प्रतिज्ञानबद्ध समझौते (कंट्रैक्ट) और विक्षति (रॉर्ट) दोनों ही मामलों में अंतर्निहित उद्देश्य अभावपूर्ति का ही होता है एक यह नियम अपने आज नि:सृत होता है कि यदि वादी ने हानि नहीं उठाई है तो वह किसी क्षतिपूर्ति का भी दावेदार नहीं है।
18.
यह एक आदर्श मिश्रण है जिसमें सम्मानित योद्धा, सुशीला प्रियोरेस (Prioress), चालाक चिकित्सक बाथ की बहुविवाहिता वाचाल पत्नी, बहस करनेवाला “रसोइया”, नीच अफसर (रीव), बादमाश, घृणित “सम्मन तामील करनेवाला”, “मस्त फ्रायर” अथवा आक्सेन फोर्ड का क्लार्क, सच्चे विश्वास से दीप्त नि:सृत उद्ववेग, सभी घुले मिले हैं।
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दूसरा यह कि चूँकि प्रतिज्ञानबद्ध समझौते (कंट्रैक्ट) और विक्षति (रॉर्ट) दोनों ही मामलों में अंतर्निहित उद्देश्य अभावपूर्ति का ही होता है एक यह नियम अपने आज नि:सृत होता है कि यदि वादी ने हानि नहीं उठाई है तो वह किसी क्षतिपूर्ति का भी दावेदार नहीं है।
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हाँ, डेढ़ सौ वर्षों के सर्वहारा संघर्षों के इतिहास और उनसके नि:सृत क्रान्ति के विज्ञान के आधार पर इतनी बातें दृढ़तापूर्वक जरूर की जा सकती हैं कि क्रान्ति को सफल अंजाम तक वही पार्टी पहुँचा सकती है, जो विचारधारा के प्रश्न पर और रणनीति एवं आम रणकौशलों (स्ट्रैटेजी ऐण्ड जनरल टैक्टिस) के प्रश्नों पर एकजुट हो।