| 11. | बोली-उपहास इतना निंद्य नहीं है, जितना अन्याय।
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| 12. | समर निंद्य है धर्मराज, पर, कहो, शान्ति वह क्या है,
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| 13. | भूल चूक भी निंद्य वच, कहे न वह दृढ़-चित्त ॥
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| 14. | लक्ष्मण का कर्म श्लाघ्य है और अविवेकी का निंद्य,
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| 15. | निंद्य साधन अख्तियार करने से गुजर कहां तक चल सकता है
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| 16. | इस प्रकार का जीवन गीता में निंद्य माना गया है ।
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| 17. | स्वच्छंदता के बाधक होते हैं, अधिकतर वही निंद्य समझे जाते हैं।
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| 18. | समर निंद्य है / भाग १ और २-रामधारी सिंह 'दिनकर...
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| 19. | समर निंद्य है / भाग ५ और ६-रामधारी सिंह 'दिनकर'
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| 20. | समर निंद्य है / भाग ३ और ४-रामधारी सिंह 'दिनकर...
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