संविधान के मूलभूत अधिकारों से सम्बन्धित भाग तीन में संसाधनों के असमान बँटवारे और उनके निजी हाथों में संकेन्द्रण के विरुद्ध अधिकार, काम का अधिकार, काम की न्यायसंगत और मनोचित दशाओं का अधिकार, स्वास्थ्य और पोषणयुक्त भोजन का अधिकार, श्रमिकों के लिए निर्वाह मज़दूरी का अधिकार, समान श्रम के लिए समान मज़दूरी, निःशुल्क विधिक सहायता का अधिकार, जैसे बेहद बुनियादी अधिकारों का ज़िक्र तक नहीं है।
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समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता को सर्वाधिक महत्व प्रदान करते हुये अनुच्छेद 39 क राज्य को यह निदेश देता है कि वह सुनिश्चित करे कि विधिक व्यवस्था इस प्रकार काम करे कि सभी को अवसर के आधार सुलभ हों और वह विशिष्टतया आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाये तथा उपयुक्त विधान द्वारा या किसी अन्य रीति से निः श्ुाल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करें ।