ज्ञान की प्राप्ति की प्रक्रिया में वे प्रकृति का सहारा लेते हैं और उसी के निगूढ प्रभाव के फलस्वरूप चेतना में सत्य का तत्क्षण अवतरण सम्भव मानते हैं।
12.
पुरुरवा कौन विघ्न किसका? जो है, जो अब होने वाला है, सब है बद्ध निगूढ, एक ऋत के शाश्वत धागे में ; कहो उसे प्रारब्ध, नियति या लीला सौम्य प्रकृति की.
13.
उसमें किसी भी तरह के रहस्यों और आडम्बरों के लिए कोई स्थान न थां उनका चिन्तन प्राणियों के व्यापक दु: खों के कारण की खोज से प्रारम्भ होता है, न कि किसी अत्यन्त निगूढ, गुहाप्रविष्ट तत्त्व की खोज से।
14.
अ. 17 यह रहस्य, रहस्य क्यों रहे? हिन्दुओं में चली आ रही कुछ निगूढ बातें मुसमानों की लापरवाही अ.18 पूर्व ग्रन्थों में आस्था यह गलतफहमी दूर कीजिए दीन केवल इस्लाम है लेकिन कोई भी पूर्व ग्रन्थ निरस्त नहीं किया गया है।