| 11. | चलिये जी; निन्दक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय!
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| 12. | निन्दक के लिये स्वयं निन्दक बन जाना
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| 13. | निन्दक के लिये स्वयं निन्दक बन जाना
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| 14. | निन्दक पर कुढ़ते हुए, क्यों होता है ताप ॥
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| 15. | निन्दक को जब ज्ञात हो‚ देर बड़ी हो जाय।।
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| 16. | कर दें; क्योंकि वह नास्तिक और वेदों का निन्दक
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| 17. | निन्दक कुत्सावादी गाली देने वाला मुंहफट निन्दात्मक
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| 18. | कबीर कह गए थे, निन्दक नियरे राखिये।
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| 19. | निन्दक तो है नाक बिन, सोहै नकटो मांहि।
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| 20. | एक निन्दक के पोट में सौ पापीन का भार..
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