मगर किसी भी दूसरे पेशेवर की तरह ही ए राजा और अशोक चव्हाण के लिए यह नियम लागू होना चाहिए कि अगर आप पकड़े जाते हैं तो आपको इसकी कीमत चुकानी होगी, या फिर कम से कम पश्चाताप तो करना ही होगा।
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अगर मामला मीडिया में न उछलता और सुप्रीम कोर्ट सीधे हस्त: क्षेप न करता तो सब कुछ ज्यों का त्यों ही चल रहा था! यहाँ तक कि दिल्ली में तो इन्होने सुंग्लू कमेटी की रिपोर्ट को भी दरकिनार कर दिया! अगर ये भ्रष्ट यह सोचते है कि मुख्यमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी जिम्मेदार है और उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए तो इन अरबों-खरबों के घोटालों के लिए एक प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी की अध्यक्ष होने के नाते मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी पर भी वही नियम लागू होना चाहिए था!