धन्यवाद नियामिका जी, आप इस सूत्र पर आकर अपने कीमती विचार व्यक्त किये उसके लिए मेरा तहे दिल से आभार.
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आयोजन की नियामिका डॉ. कमलेश अवस्थी ने चयन-प्रक्रिया पर प्रकाश डाला और पुरस्कृत आलोचक अनिल त्रिपाठी को दिये गये प्रशस्ति-पत्र का पाठ किया।
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श्रीमद् देवीभागवत् पुराण शाक्तमत का स्वतंत्र पुराण है जिसमें देवी को विश्व की नियामिका अधिष्ठात्री चैतन्यमयी शक्ति के रूप में चित्रित किया गया है।
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देवीशंकर अवस्थी सम्मान समारोह की नियामिका और संयोजिका कमलेश अवस्थी जी ने बताया कि पुरस्कार निर्णायक मण्डल में राजेन्द्र यादव, अजित कुमार, नित्यानन्द तिवारी, अशोक वाजपेयी, अर्चना वर्मा शामिल थे।
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देवीशंकर अवस्थी सम्मान समारोह की नियामिका और संयोजिका कमलेश अवस्थी और उनके पुत्रों अनुराग और वरुण व पुत्री वत्सला का देवीशंकर अवस्थी जी के लेखन और स्मृतियों को इस पुरस्कार के माध्यम संजोए रखने के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि आज की आलोचना की सबसे बड़ी खामी उसमें सूत्रबद्ध या क्रमबद्ध लेखन का अभाव है, इसलिए वह किसी व्यापक निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाती।