जैसा कि लॉर्ड एक्टन का कथन प्रसिद्ध है-शक्ति आदमी को भ्रष्ट कर सकती है और निरंकुश शक्ति उसे पूरी तरह भ्रष्ट करती है।
12.
विनियमन की लोकतांत्रिक अवधारणा के मूल में राज्य की निरंकुश शक्ति और निजी पूंजी के सीमित स्वार्थों के दोतरफा दबावों से नागरिकों के सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
13.
अगर राजनेताओं को लूट की आज़ादी और निरंकुश शक्ति चाहिए तो उनकी कृपा और करतूतों की बदौलत उनके ‘ क्रिटीक ' कहे जाने वाले मिडिया को चाहिए बेपनाह आज़ादी, बेशुमार पैसा, शोहरत और ताकत. वो सबकी खोज-खबर रखना चाहते हैं पर उनकी खोज-खबर लेने के इशारे मात्र से बौखला उठाते हैं.