लेकिन कुछ लोग न सिर्फ अज्ञानी और निरक्षर ही बने रहना चाहते हैं बल्कि अपनी इस अज्ञानता और निरक्षता को और अधिक पुख्ता करते हुए संघ के बारे में और अधिक गलतफहमी पैदा करना चाहते हैं।
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लेकिन कुछ लोग न सिर्फ अज्ञानी और निरक्षर ही बने रहना चाहते हैं बल्कि अपनी इस अज्ञानता और निरक्षता को और अधिक पुख्ता करते हुए संघ के बारे में और अधिक गलतफहमी पैदा करना चाहते हैं।
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निरक्षता और गरीबी भी किसी जादू की छड़ी से एकदम दूर नहीं की जा सकती, किंतु यह स्वीकारना पड़ेगा कि बीती अर्ध्दशती में यह सब कुछ हो सकता था और भारत के जन-जन को वयस्क मताधिकार के योग्य बनाया जा सकता था।
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इन्होंने इस साधना की मर्यादा के अनुरूप आध्यात्मिक उत्कर्ष को प्राप्त करते हुए समाज-सेवा के कार्यों को भी महत्व देना प्रारम्भ किया, फलतः इस क्षेत्र की निरक्षता धीरे-धीरे समाप्त होने लगी और मठ के अन्तर्गत संस्कृत, हिन्दी एवं आंग्ल भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विविध शिक्षण-संस्थानों की स्थापना हुई।
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एक स्वस्थ सुरक्षित लोकतांत्रिक समाज में व्यक्ति को निर्भय जीने का अधिकार होता है, लेकिन हमने एक ऐसी व्यवस्था बना रखी है, जो कहने को लोगों को समान अवसर देती है, लेकिन निरक्षता और गरीबी का मारा व्यक्ति या तो अपराध की राह पकड़ता है या भीख मांगने के लिए मजबूर होता है।
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एक स्वस्थ सुरक्षित लोकतांत्रिक समाज में व्यक्ति को निर्भय जीने का अधिकार होता है, लेकिन हमने एक ऐसी व्यवस्था बना रखी है, जो कहने को लोगों को समान अवसर देती है, लेकिन निरक्षता और गरीबी का मारा व्यक्ति या तो अपराध की राह पकड़ता है या भीख मांगने के लिए मजबूर होता है।
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प्रेमा जी आपने पहाड की महिलाओं के जीवन के बारे कडवे सच से रूबरू कराया पर आप यह भी जानती होगी इन सभी रूढिवादियों में वह महिला भी उतनी दोषी है जितना समाज अज्ञान व निरक्षता भी जिम्मेदार है इन सभी के पीछे, पर तकलीफ तब होती है जब पढे लिखे भी इन परम्पराओं का पालन करते है ।
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कुछ बिन्दुओं को छूना चाहूँगा: >>> इस सोच से उत्पन निर्णय में हमारे देश के अनपढ़, अल्पपढ और ग़रीब, किसान, मज़दूर, कारीगर आदि आमजन भी उन्हें दिखाई देते हैं जिनमें से आधे लोग तो आज भी निरक्षर हैं >> अब यह तो सीधी सी बात है कि निरक्षता का निवारण न तो परंपरागत पत्रकारिता कर सकती है न ही ब्लौग ।