भारतीय सनातन धर्म में चक्र पूजन (चाक पूजन) विवाह के पूर्व एक संस्कार होता है, इस चक्र पूजन का आशय भी यही होता है कि विवाह के लिए तैयार वर-वधू को अब चाक रूपी जीवनचक्र में परिक्रमारत रहना है और उस चक्र के केन्द्र में सृजनात्मक शक्ति छिपी हुई है जो ईश्वर है अत: परिक्रमा अधीन रहकर हमें ईश्वर का सदैव ध्यान रखना है तथा प्रदक्षिणारत भी रहना है, कर्म में निरत रहना है।