भाषादोष व ज्ञानात्मक विवेक की कमियों के जरिए मैत्रेयी के महत्व को कम किए जाने की निरर्थक कोशिश की बजाय ‘ गुडिया भीतर गुडिया ' के जरिए स्त्री के भावात्मक आंदोलन की दिशा को समझना ज्यादा जरूरी था।
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जवाहिरी ने टेप में 3 नवंबर को लगी इमरजेंसी और उसके बाद विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियों का जिक्र किया और कहा कि इमरजेंसी का ऐलान पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हालात में गिरावट रोकने की अमेरिका की निरर्थक कोशिश थी।
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उन्होंने पिछली पोस्ट के बदले स्वरूप कार्रवाई का जरूर जिक्र किया था और मैंने उसे एकदम से नकार दिया था परंतु उन्हें इससे संतुष्टि नहीं मिली और उन्होंने इस बात को भी टिप्पणी के रूप में तूल देने की निरर्थक कोशिश की है।
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इसीलिए लोग सुविधाओं की बात तो जरूर करते हैं, जब-तब किसी खास समुदाय के साथ किसी खास पार्टी द्वारा भेदभाव किए जाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं, लेकिन खुद जनता को बांटने जैसी कोई निरर्थक कोशिश अब नहीं दिख रही है।
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और इस तरह मंच का एक अदद शानदार कवि सफलताओं के भ्रम को समझता हुआ, तनावों से ग्रस्त, आत्मग्लानि से भरा हुआ, बड़बोले छुटभइये कवियों की बातों को इस कान से सुनकर उस कान से निकालने की निरर्थक कोशिश करता हुआ, धम्म से बैठ जाता है।
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उस साजिश की पूरी एवजी वसूलते शराब और गांजा और गाड़ी और फोन में मस्त और तृप्त वह सबको धकियाता कुचलता आज भी अपने बच्चों के साथ तुम्हारे ही कन्धों पर सवार होकर एंड लगा रहा है और तुम उसके सैकड़ों अपराधों पर पर्दा डालने की आज भी निरर्थक कोशिश कर रहे हो ।
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ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या जन भाषाओं के बचाव की लड़ाई संविधान की आठवीं अनुसूची तक की एक निरर्थक कोशिश है या उसकी यात्रा का उन पड़ावों से गुजरना है जहां जल, जंगल, जमीन और रोजी-रोजगार के ठिकाने मौजूद हैं? उत्तराखण्ड में आज भाषा-बोली का जो सवाल जोर पकड़ता जा रहा उसके केन्द्र में सिर्फ गढ़वाली और कुमाऊंनी को ही तरजीह दी जा रही है।
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खैरियत खफा है हमसे......... मुझे नफरत है अपने सपनो से...(कविता) हालाँकि मैं कोई कवि नहीं, न साहित्य जगत में अपनी रचनाओं से कुछ अवदान करने की हिमाकत करता हूँ...बस कभी-कभी कुछ बेचैनियाँ तंग करती है तो उन्हें कागजों पे उतारने की निरर्थक कोशिश कर लेता हूँ...उन बेचैनियों को मेरे मित्र कविता कह देते हैं...और मैं भी मजबूरन उनकी ये बात मान लेता हूँ-बहरहाल ऐसी ही एक बेचैनी प्रस्तुत है जिसे मजबूरन आपको झेलना पड़ेगा...
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पत्थरों पर नाम लिखवाने से लोगों के हृदय में जगह नहीं मिल जाती हंसी की करतूतों पर लोगों के ताली बजाने से कुछ पल अच्छा लगता है पर कोई इज्जत नहीं बढ़ जाती कुछ पलों की प्रशंसा से क्यों फूल कर कुप्पा हो जाते हैं आकाश में उड़ने की ख्वाहिश रखने वालों पहले जमीन पर चलना सीख लो जहां खड़े रहने से ही तुम्हारे पांव लड़खड़ने लग जाते हैं दूसरे की आंखों में पहचान ढूंढने की निरर्थक कोशिश में अपनी असली पहचान खोते चले जाते हैं ………………………..