| 11. | ' साक्षात्कृतधर्माण ॠषयो बभूअ: '-यास्क का यह कथन इस निरुक्ति का प्रतिफलितार्थ है।
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| 12. | निरुक्ति के अनुसार जिसका अर्थ है-धारण करना (मेरे अनुसार धारित या धारणीय है ।
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| 13. | इस व्याख्या में ॠषि शब्द की निरुक्ति ' तुदादिगण ॠष गतौ ' धातु से मानी गयी है।
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| 14. | तंत्र ग्रंथ त्रिपुरार्णव में त्रिपुरा की निरुक्ति है-तीन नाड़ियाँ (इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना) ।
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| 15. | ब्रह्मांड पुराण के प्रक्रियापाद मे ' पुराण ' शब्द की निरुक्ति इस प्रकार की गई है-
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| 16. | क्षीरस्वामी ने अमरकोष में आये प्रत्येक शब्द की पाणिनि व्याकरण के अनुसार व्युत्पत्ति और निरुक्ति प्रस्तुत की है।
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| 17. | ‘ अद्वयतारक उपनिषद् ' में ‘ गुरु ' शब्द की निरुक्ति बताकर इसका प्रतीकात्मक अर्थ इस प्रकार दर्शाया
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| 18. | वैदिककोश निरुक्ति में कहा गया है-परमेश्वर शक्ति का प्रदर्शन करते हुए अिंचत्य आश्चर्यजनक लीलाएं कर रहे हैं।
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| 19. | इसी पुस्तक के अगले अध्याय में कन्या शब्द कि निरुक्ति देते हुए आचार्य यासक ने एक अर्थ लिखा है-
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| 20. | यह अमरकोष की एकमात्र ऐसी टीका है, जिसमें शब्दों की व्याकरणिक व्युत्पत्तियों के साथ-साथ निरुक्ति भी दी गयी है ।
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