इसके सिवा लाखों ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्हें ब्रह्मविद्या के आचार्य पूज्यश्री का मार्गदर्शन मिला और उनकी स्मृतिशक्ति, निर्णयक्षमता एवं अनेक सुषुप्त योग्यताओं का विलक्षण विकास हुआ है तथा हर क्षेत्र में सफलता उनके चरण चूमने लगी है।
12.
मैं समझता हूँ कि हमें इस मानसिक स्थिति और कार्यप्रणाली से तुरंत उबरना होगा क्योंकि जब तक हम अपने पुलिसबल के सबसे बड़े हिस्से को पूरी तरह जिम्मेदार, काफी हद तक स्वतंत्र, आत्मविश्वास से लबरेज और विशिष्ट कार्यों में दक्ष नहीं बनाएंगे तब तक हमारी पुलिस कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर आधारित पुलिस बल की तरह रहेगी जहां सारा कुछ सिमट कर ऊपर के अधिकारियों के व्यक्तित्व और निर्णयक्षमता पर आधारित हो जाता है.