निर्निमेष दृष्टि से देखने की भोली चाह के अतिरिक्त प्यार शायद ही कुछ और सोचता हो।
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प्रशंसा की मंशा और निर्निमेष दृष्टि से देखने की भोली इच्छा से आगे शायद ही कुछ सोचता है।
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प्रशंसा की मंशा और निर्निमेष दृष्टि से देखने की भोली इच्छा से आगे शायद ही कुछ सोचता है।
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' ' कुछ नहीं! '' थोड़ी देर तक दिवू उसे निर्निमेष दृष्टि से देखता रहा फिर बोला, '' श्यामा, दिल्ली तुम्हें व्यापी नहीं।
15.
तुम हाथ से हाथ को बाँधते हो उसमें छिपी सृजनता को नहीं सींचते निर्निमेष दृष्टि के अथाह होना चाहते हो पर अन्धकार से भय है, यह हृदय पर कैसा विजय है?
16.
किन्तु कभी-कभी सन्ध्या को सन्तरे के रंग से जब जाह्नवी का जल रँग जाता है और पूरे नगर की अट्टालिकाओं का प्रतिबिम्ब छाया-चित्र का दृश्य बनाने लगता, तब भाव-विभोर होकर कल्पनाशील भावुक की तरह वही पागल निर्निमेष दृष्टि से प्रकृति के अदृश्य हाथों से बनाये हुए कोमल कारीगरी के कमनीय कुसुम को-नन्हें-से फूल को-बिना तोड़े हुए उन्हीं घासों में हिलाकर छोड़ देता और स्नेह से उसी ओर देखने लगता, जैसे वह उस फूल से कोई सन्देश सुन रहा हो।