१-निर्बन्धन केवल अनु ० १ ९ के खंड [२] से [६] के अधीन दिए गए आधारों पर ही लगाये जा सकते हैं.
12.
किन्तु जहाँ व्यक्ति के अधिकारों पर सामाजिक हित की द्रष्टि से निर्बन्धन लगाये जा सकते हैं वहीँ राज्य की सामाजिक नियंत्रण की शक्ति की भी उचित सीमा निर्धारित होनी चाहि ए.
13.
अनुच्छेद-19-5 अनुसूचित आदिम जातियों के हितें की सरंक्षा के लिए इस अनुच्छेद के खण्ड घ, ड और च में प्रदत्त मूल अधिकारों पर निर्बन्धन लगाता है ।
14.
जिला दंडाधिकारी न्यायालय नरसिंहपुर में जिला बदर के विचाराधीन 3 प्रकरणों में आपराधिक कृत्यों को रोकने के लिए जनसाधारण के हित में आरोपियों के विरूद्ध जिला दंडाधिकारी संजीव सिंह द्वारा आगामी एक वर्ष के लिए अलग-अलग निर्बन्धन आदेश पारित किये गये हैं।
15.
निर्बन्धन आदेश पटैल वार्ड गाडरवारा के मोहन कोरी पिता ग्यारसी कोरी, तहसील नरसिंहपुर के थाना ठेमी के तहत तिंदनी के प्रहलाद पिता उजयार सिंह लोधी और थाना गोटेगांव के तहत कुम्हड़ाखेड़ा के सुमन्त उर्फ दीनदयाल पिता जगदीश मिश्रा के विरूद्ध पारित किये गये हैं।
16.
(5) शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि इस अनुच्छेद के अधीन इस संविधान के उपबंधों का परिवर्धन, परिवर्तन या निरसन के रूप में संशोधन करने के लिए संसद की संविधायी शक्ति पर किसी प्रकार का निर्बन्धन नहीं होगा।
17.
(2) इस अनुच्छेद की कोई बात किसी ऐसी विद्यमान विधि के प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या राज्य को कोई ऐसी विधि बनाने से निवारित नहीं करेगी जो-(क) धार्मिक आचरण से संबद्ध किसी आर्थिक, वित्तीय, राजनैतिक या अन्य लौकिक क्रियाकलाप का विनियमन या निर्बन्धन करती है ;
18.
इस बात को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद १ ९ के खंड [२] से [६] के अधीन राज्य को भारत की प्रभुता और अखंडता की सुरक्षा, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार आदि के हितों की रक्षा के लिए निर्बन्धन लगाने की शक्ति प्रदान की गयी है, किन्तु शर्त ये है कि निर्बन्धन युक्तियुक्त हों.
19.
इस बात को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद १ ९ के खंड [२] से [६] के अधीन राज्य को भारत की प्रभुता और अखंडता की सुरक्षा, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार आदि के हितों की रक्षा के लिए निर्बन्धन लगाने की शक्ति प्रदान की गयी है, किन्तु शर्त ये है कि निर्बन्धन युक्तियुक्त हों.
20.
(3) उक्त खंड के उपखंड (ख) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर 4[भारत की प्रभुता और अखंडता याट लोक व्यवस्था के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहाँ तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहाँ तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।