जल्दी ही, यह सम्भावना भी निश्शेष हो गयी और 1910 का दशक आते-आते विश्व पूँजीवाद फिर से अति-उत्पादन और मन्दी के संकट का शिकार हो गया।
12.
उनकी रचनाएँ किसी भी प्रकार के आंदोलन या धाराओं के साथ कुछ समय तक चलकर निश्शेष हो जाने वाली रचना नहीं हैं, यही उनकी सबसे बड़ी अर्थवत्ता भी है।
13.
तपस्वी क्यों हो इतने क्लांत? वेदना का यह कैसा वेग? आह! तुम कितने अधिक हताश-बताओ यह कैसा उद्वेग? हृदय में क्या है नहीं अधीर-लालसा की निश्शेष?
14.
एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है कि साम्राज्यवाद के आगे पूँजीवाद की कोई और अवस्था नहीं है और ऐतिहासिक कारणों से साम्राज्यवाद की आयु भले ही कुछ लम्बी हो गयी हो, लेकिन अब एक सामाजिक-आर्थिक संरचना और विश्व-व्यवस्था के रूप में पूँजीवाद के दीर्घजीवी होने की सम्भावना निश्शेष हो चुकी है।
15.
तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत? वेदना का यह कैसा वेग? आह! तुम कितने अधिक हताश, बताओ यह कैसा उद्वेग! हृदय में क्या है नहीं अधीर, लालसा जीवन की निश्शेष? कर रहा वंचित कहीं न त्याग तुम्हें मन में धर सुंदर वेश! दु: ख के डर से तुम अज्ञात, जटिलताओं का कर अनुमान, काम से झिझक रहे हो आज भविष्यत् से बनकर अनजान।
16.
राजनीति और मुख्यधारा मीडिया के बावज़ूद, आतंक के अनुभव को पूर्णतः आतंकवाद में निश्शेष नहीं किया जा सकता, ‘आतंकवाद' से ‘नियमित' अर्थों के अलावा, उनसे परे भी इसके कई ‘अर्थ' ‘हैं-भोपाल गैस त्रासदी के पीडितों के जीने के, मरने के, होने भर के आतंक पर बुकर नामांकित उपन्यासकार इन्द्र सिंहा की रिपोर्ट हिन्दी अनुवाद में (जिसे उपलब्ध कराने के लिये हम सम्भावना क्लिनिक, भोपाल के सतीनाथ षडंगी-सथ्यू-के आभारी हैं);