जब दाऊद भाई भारत की जनता की सेवा करने भारत आएंगे तो पहले बिग बोस में जा कर बताएंगे कि कैसे “ इंडिया ” के अत्याचार के कारण उन्हे निष्कासित होना पड़ा और जनता की सेवा से वंचित रह गए.
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नतीजा यह हुआ कि जो भी स्वतंत्र विचार का आकांक्षी था उसने अपने चिन्तन को जारी रखने के लिए रूस से स्वेच्छा या जारशाही के दबाव से निष्कासित होना स्वीकार किया पर अपने देश के बाहर जाकर स्वतंत्र चिन्तन प्रक्रिया को जारी रखा और सामाजिक ज्ञान की मशाल को जलाये रखा।