निद्राचार (Somnambulism या Sleep walking) नींद में चलना फिरना, या निद्रा की स्थिति में शारीरिक सक्रियता के तीव्र होने की विघटित अभिक्रिया, है।
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एक रात, जब पूरी दुनिया सन्नाटे के आगोश में पसरी पड़ी थी, औरत और उसकी बेटी ने नींद में चलना शुरू कर दिया।
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लगभग एक ग्राम चूर्ण में एक ग्राम घी और शहद मिलाकर नींद में चलने वाले रोगी को देने से उसकी स्नायुतंत्र की कमजोरी दूर होती है और नींद में चलना बन्द होता है।
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ब्रिटिश विशषज्ञों के मुताबिक अनिद्रा, नींद में चलना या फिर नींद में होने वाली सांस की समस्या ग्यारह साल से कम उम्र के बच्चों में भी तेजी से देखने में आ रही है।
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कभी कभी मन सोते समय भी स्वप्न में देखे गए दृश्यों के आधार पर मस्तिष्क को आदेश देने लगता है तब सोते समय हमारा शरीर भी भौतिक रूप से क्रिया करने लगता है नींद में चलना बोलना और स्वप्नदोष आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
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जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना, दिन में नींद के झटके आते रहना, रात में ज्यादा सपने आना, बार-बार नींद का टूटना, मुंह सूखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार-बार उठना, खर्राटे लेना, रातों में टांगों का छटपटाना, नींद में चलना आदि।
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नींद से सम्बंधित लक्षण-रोगी को हर समय नींद सी आते रहना, नींद में बेचैनी सी महसूस होना, मन में कोई परेशानी, दुख या ज्यादा संभोगक्रिया करने के कारण नींद का न आना, निशाभीति (रात के समय डर का लगना), रात को सोते समय दांतों को पीसना, नींद में डरावने सपने आना, नींद में चलना आदि रोगों के लक्षणों के आधार पर रोगी को काली ब्रोमैटम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।
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नींद में चलना, डरावने सपने आना मानसिक समस्या का सामना करना, निराषावादी होना, अचानक किसी की मृत्यु होना, आत्महत्या की प्रवृत्ति होना, लाइलाज बीमारी होना जैसे कैन्सर, डाइबिटीज, कौमा में जाना, हाइपर ऐक्टिव बच्चे, स्त्री का गर्भ धारण न करना, बार-बार गर्भपात होना या मानसिक या शारीरिक रूप से अविकसित बच्चे होना, बच्चों का पढ़ाई में ध्यान न देना, शादी या नौकरी में विलम्ब होना, घरेलू झगड़े बहुत अधिक मात्रा में होना आदि।