विशेषता संयुक्त ये मानव-संबंध, मानव-चेतना की मूलभूत नींवें हॆं, जिनके आधार पर कला, दर्शन, धर्म तथा साहित्य की सृष्टि होती हॆ ।
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बारिश के दौरान पहाड़ में रिस कर आ रहे पानी से मकानों की नींवें कमजोर हो गई हैं और चट्टान गिरने से नीचे बने मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं।
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यह ज्यादा समझदार है, अपनी इस जानकारी का ढिंढोरा नहीं पीटता, उसने सनातन भवन की नींव के लिए बने विराट प्लेटफार्म का उपयोग, अपनी नींवें ठहराने के लिए किया।
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सुलीवान ने नीलगिरि की खोज नहीं की थी किन्तु आरोग्य-निवास के रूप में इसकी सम्भावना को देखने वाले वे प्रथम थे और उन्होंने ऐसी नींवें डालीं जो इन पहाड़ियों के सामाजिक और आर्थिक स्वरूप में परिवर्तन लाईं।
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लेकिन अपने भवन की नींवें खोद कर अपने भवन के वैज्ञानिक कंगूरे बनाने वाले यह समझ नहीं पायेंगे कि, पडोसी की बातों के असर में आकर वे अपनी धरोहर को कितना भारी नुक्सान कर रहे हैं ।
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भूल जाने दो मुझे: यह पत्थर का विस्तार, सशक्त अनुपात, लोकोत्तर माप, छत्तों-जैसी तहख़ानेदार नींवें, और गुनिये से मेरे हाथ को फिसलने दो आज तल्ख़ ख़ून और टाट के अदृश्य कर्ण पर नीचे तक ।
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क्या पचास फीट के भराव वाला रामगढ़ बांध अपने आप सूख गया? इसकी जमीन पर हल चलाते हुए, मकानों की नींवें खोदते हुए किसी का सीना फट क्यों नहीं गया? बीसलपुर का पानी भी रामगढ़ में डालते तो पचास कि. मी. तक के गांव हरे हो जाते।
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शब्द बीज गिराता जाता हैइस बात से अनजानकि कहाँ गुलमर्ग बनाकहाँ चनाबकहाँ कैलाश! उसकी यात्रा कहो या जीवन दर्शनवह होता है निरंतर चलायमान कितना बड़ा सच है इन पंक्तियों में! ये शब्द बीज ही जब प्रस्फुटित होते हैं तो इतने शक्तिमान हो जाते हैं कि पल भर में समाज और व्यवस्था की नींवें दरकने लगती हैं! बहुत सार्थक एवं प्रभावी रचना! ढेर सारी बधाई रश्मि जी!
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शब्द बीज गिराता जाता हैइस बात से अनजानकि कहाँ गुलमर्ग बनाकहाँ चनाबकहाँ कैलाश! उसकी यात्रा कहो या जीवन दर्शनवह होता है निरंतर चलायमान कितना बड़ा सच है इन पंक्तियों में! ये शब्द बीज ही जब प्रस्फुटित होते हैं तो इतने शक्तिमान हो जाते हैं कि पल भर में समाज और व्यवस्था की नींवें दरकने लगती हैं! बहुत सार्थक एवं प्रभावी रचना! ढेर सारी बधाई रश्मि जी!प्रत्युत्तर देंहटाएंसंगीता स्वरुप (गीत)17 अप्रैल 2012 10:42