नील हरित शैवाल (अंग्रेज़ी:ब्लू-ग्रीन ऐल्गी, सायनोबैक्टीरिया) एक जीवाणु फायलम होता है, जो प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा उत्पादन करते हैं।
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नील हरित शैवाल (अंग्रेज़ी:ब्लू-ग्रीन ऐल्गी, सायनोबैक्टीरिया) एक जीवाणु फायलम होता है, जो प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा उत्पादन करते हैं।
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नील हरित शैवाल (अंग्रेज़ी:ब्लू-ग्रीन ऐल्गी, सायनोबैक्टीरिया) एक जीवाणु फायलम होता है, जो प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा उत्पादन करते हैं।
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नील हरित शैवाल एवं एजोला को पूरे वर्ष प्राप्त करने के लिए छोटी सीमेंट की टंकी या नली में रखा जा सकता है।
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नील हरित शैवाल या एजोला को उगाने के लिए फॉस्फोरस (4-20 कि.ग्रा. फास्फोरस पेंटाऑक्साइड /हे एवं मौलीबिडनम (2 मि.ग्रा. सोडियम मौलीबिडेट का उपयोग करें।
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जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए द्वीप-एकक पर्दायुक्त कोशिकांगों (
17.
क्वीन्सलैण्ड विश्वविघालय की डैना प्राइस के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नील हरित शैवाल के जिनेटिक अध्ययन के आधार पर उस मूल घटना को समझने के प्रयास किए हैं ।
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कृषि सुधार कार्यक्रम (आत्मा) परियोजना के संचालक आशीष पाण्डेय ने बताया कि मृदा की उर्वरा शक्ति ब $ ढाने के लिये धान के खेत में १ ०-१ २ कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से नील हरित शैवाल का प्रयोग करना लाभप्रद होता है।
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धान की रोपाई के 4-5 दिन 12. 5 किलोग्राम नील हरित शैवाल पानी की उपलब्धता में नील हरित शैवाल को खेत में बिखर दें, 4-5 दिन तक पानी भरा रहे कुछ दिन बादशैवाल पनपने लगती है इसे कृषि विश्वविद्यलयों से, कृषि विभाग के सम्भागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्रों से तथा विज्ञान एवं प्रोद्योगिक परिषद के बक्शी का तालाब केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं।
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धान की रोपाई के 4-5 दिन 12. 5 किलोग्राम नील हरित शैवाल पानी की उपलब्धता में नील हरित शैवाल को खेत में बिखर दें, 4-5 दिन तक पानी भरा रहे कुछ दिन बादशैवाल पनपने लगती है इसे कृषि विश्वविद्यलयों से, कृषि विभाग के सम्भागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्रों से तथा विज्ञान एवं प्रोद्योगिक परिषद के बक्शी का तालाब केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं।