| 11. | प्लवमान पिंड नेत्रकाचाभ द्रव (मोटी तरल या जेल कि आँख भरता है.)
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| 12. | इसके दूसरी ओर नेत्रकाचाभ द्रव (vitrous humour) भरा रहता है।
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| 13. | समय के साथ नेत्रकाचाभ अपना आधार खोने लगता है और इसकी रूपरेखा सिकुड़ने
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| 14. | नेत्रकाचाभ द्रव का उत्पादन रोमक पिण्ड (सिलियरी बॉडी) द्वारा होता है।
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| 15. | नेत्रगोलक की तीसरी और सबसे बड़ी गुहा को नेत्रकाचाभ (vitreous chamber) कहते हैं।
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| 16. | समय के साथ नेत्रकाचाभ अपना आधार खोने लगता है और इसकी रूपरेखा सिकुड़ने lagti है.
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| 17. | इस कक्ष में रंगहीन पारदर्शी जैली के जैसा पदार्थ भरा होता है जिसे नेत्रकाचाभ द्रव (vitreous humour) कहते हैं।
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| 18. | वे भ्रूण मूल के हो सकते हैं, या नेत्र्पटल अथवा नेत्रकाचाभ द्रव में आये बदलाव से उत्पन्न हो सकते हैं.
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| 19. | वे भ्रूण मूल के हो सकते हैं, या नेत्र्पटल अथवा नेत्रकाचाभ द्रव में आये बदलाव से उत्पन्न हो सकते हैं.
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| 20. | जीवन के बाद के चरणों में ही, जब नेत्रकाचाभ द्रव दृष्टिपटल से अलग होता है, येह प्रत्यक्ष रूप से दीखता है.
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