| 11. | तदुपरांत नेत्रिका को आगे पीछे ऐसे घुमाया जाता है कि मध्यच्छद के क्रूस तंतु स्पष्ट दिखाई दें।
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| 12. | जब क्षीण दिष्ट धारा नापनी होती है, तब कैमरा की जगह पर सूक्ष्ममापी नेत्रिका लगा दते हैं।
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| 13. | सूक्ष्ममापी नेत्रिका से छाया के विस्थापन को नाप लेते हैं जिससे धारा का मान निकल आता है।
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| 14. | अगोली लेंस का प्रयोग संग्राही (condenser) लेंस के रूप में तथा द्विनेत्री की नेत्रिका एवं कुछ कैमरों में होता है।
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| 15. | 1. फोकस करना-दूरबीन के नेत्रिका लेंस को ऐसे घुमाते हैं कि तंतुपट के क्रूस तंतु स्पष्ट दिखाई देने लगें।
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| 16. | ताकि वह अंततः नेत्रिका तक पहुंचे जिसके परिणामस्वरूप दृश्य क्षेत्र के क्षेत्र में चमक उभरती है, क्योंकि उसे प्रकाशित नहीं किया गया.
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| 17. | फोकस तब सही माना जाता है जब नेत्रिका के पास आँख धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने से प्रतिबिंब तंतुओं से हटता न दिखाई दे।
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| 18. | फोकस तब सही माना जाता है जब नेत्रिका के पास आँख धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने से प्रतिबिंब तंतुओं से हटता न दिखाई दे।
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| 19. | उसे स्थिर रखने के लिये अभिदृश्य लेंस के नीचे एक स्ंिप्रग लगा रहता है और नेत्रिका लेंस एक पेंच पर टिका रहता है।
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| 20. | फोकस तब सही माना जाता है जब नेत्रिका के पास आँख धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने से प्रतिबिंब तंतुओं से हटता न दिखाई दे।
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